Sunday, July 29, 2012

अण्णा आंदोलन

ऐसे में जब कांग्रेस के संकटमोचक प्रणब दा राष्ट्रपति बन गए हैं तो सरकार की मुसीबत और बढ़ती नज़र आ रही है...क्यों कि आज जहां भीड़ के बढ़ने से अण्णा टीम और अण्णा समर्थकों का हौसला बढ़ा है वहीं कांग्रेस के सलमान खुर्शीद और दिग्विजय की ऊबड़-खाबड़ बयानबाज़ी से खुद़ कांग्रेस पर ही दाग़ लगता नज़र आ रहा है...इसका उदाहरण यूपी विधान सभा चुनाव 2012 से लिया जा सकता है...जहां...ज़्यादा नुकसान कांग्रेस को राहुल गांधी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के गंवारू बयानों से ही उठाना पड़ा था...

Wednesday, July 25, 2012

अण्णा आंदोलन पर अरविंद केजरीवाल

भारत माता की...जय
इंकलाब...ज़िंदाबाद
अण्णा हज़ारे...ज़िंदाबाद
अण्णा तुम संघर्ष करो...हम तुम्हारे साथ हैं...
इन नारों से जंतर-मंतर गूंज रहा है...केजरीवाल ने भी मंच पर ये नारे लगाकर अपनी बात शुरू की...और कहा कि आज सुबह एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं ने मंच के पास गड़बड़ियां करने की कोशिश की...कांग्रेस नेताओं ने बात से नकारा...माडिया ने कवर किया...कुमार विश्वास को ऑडियो टेप भी भेजे गए...उसमें कहा गया कि अण्णा को धक्का देना है और अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसौदिया की पिटाई करना है...इसपर केजरीवाल ने कहा कि अगर उनकी पिटाई से देश बचता है तो वे पिटने के लिए तैयार है...वे जगह बताएं...टीम अण्णा पहुंच जाएगी...केजरीवाल ने आज फिर अण्णा की जीवनी दोहराई...और कहा कि अण्णा देश के बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सके...और एनएसयूआई के बच्चों को अच्छा भविष्य मिल सके...इसलिए वो अनशन कर रहे हैं...केजरीवाल ने कहा कि गांधी कहते थे कि आप अनशन उसके सामने मत करिए कि जो आपसे प्यार नहीं करता..अनशन उसके सामने करिए जो आपसे प्यार करता है...उन्होंने कहा कि सरकार तो उनसे प्यार नहीं करती...लेकिन देश की जनता उन्हें ज़रूर प्यार करती है...और अगर उन्हें कुछ होता है...तो जनता उसका जवाब सरकार को देखेगी...उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें भले ही डायबिटीज है लेकिन देश के लिए वो 10 दिन भी अनशन पर बैठेंगे तो भी उन्हें कुछ नहीं होगा...उन्होंने कहा कि देस के 90 प्रतिशत लोगों को मजबूरी में भ्रष्टाचार सहना पड़ रहा है और करना पड़ रहा है...इसके लिए उन्होंने अपने के चिकित्सक मित्र का भी ज़िक्र किया...उन्होंने कहा कि लोगों को मजबूरी में रिश्वत देनी पड़ रही है...इसलिए यहां ये भीड़ जुटी है...केजरीवाल ने तमाम व्यवसाय से जुड़े लोगों का भी ज़िक्र किया और कहा कि लोग मजबूरी में भ्रष्टाचार कर रहे हैं...और सह भी रहे हैं...उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत के लोग फर्स्ट क्लास लोग है...अगर लोकपाल बिल आ गया तो 90 प्रतिशत भ्रष्टाचार पर काबू पा लिया जाएगा...उन्होंने सरकारी और ज़ैरसरकारी कर्मचारियों से अपील की कि रिश्वत न लें...और भ्रष्टाचार को कतई बढ़ावा न दें...उन्होंने कहा कि जिन 15 मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के अलावा...प्रधानमंत्री...कपिलसिब्बल...और पी. चिदंबरम पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को शाम 5 बजे उजागर करेंगे...

अण्णा आंदोलन पर मनीष सिसौदिया

जंतर-मंतर पर आज फिर टीम अण्णा की हुंकार से महौल देशभक्तिमय हो गया...टीम अण्णा के सदस्य मनीष सिसौदिया ने कहा कि देश को हर हाल में जन लोकपाल कानून चाहिए...उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पिछली साल भी जहां 5 अप्रैल को बैठे थे...वहीं फिर लौटकर बैठे हैं...पिछली बार मकसद बिल का ड्राफ्ट का था...ड्राफ्ट लेकर ही उठे थे...इस बार लोकपाल कानून की मांग है...अब कानून लेकर ही यहां से उठेगे...मनीष सिसौदिया ने कहा कि 15 भ्रष्ट मंत्रियों की वजह से लोकपाल बिल नहीं बना बल्कि सरकार ने जोकपाल बिल बना डाला...उन्होंने कहा कि जब तक समाधान नहीं मिलेगा...हम यहां से नहीं हिलेंगे....टीम अण्णा के इस अनशन में जंतर-मंतर पर हज़ारों की संख्या में लोगों का समर्थन देखते ही बनता है...पूरे देश से लोग अण्णा समर्थन में जुट रहे हैं...साथ मनीष सिसौदिया ने मीडिया का भी तहेदिल से धन्यवाद किया...

Saturday, May 28, 2011

काश वो रात फिर आ जाए



क्या
लिखें समझ नहीं आता
मेरे दिल को
आजकल कुछ नहीं भाता
सुबह उठ के ही ऑफिस चला जाता

और शाम को
थका हुआ वापस चला आता

याद करता
हूँ उन्हें
तो लगता है महफूज़ हैं वो कहीं
दिल की तनहाइयों में

सदियाँ
बीत गयी
याद आती है उनके साथ पहली मुलाक़ात
भीनी
भीनी सी बूंदों की बारिश और वो क़यामत की रात
एक सुखमयी
अहसास उनके साथ

जब
उन्
होंने प्यार से निहारा मुझे
उठी कोई कसक सीने में
और धीरे जब
बिजली के कड़कने पर बाँहों में भर लिया था मुझे
चोरो तरफ स्वर्ग और
असंख्य सतरंगी इन्द्रधनुषों से घिरे हुए थे हम

काश
वो रात फिर आ जाए वो एहसास फिर से जगा जाए
इसी
अरमान के साथ
जीते हैं हम
बीते लम्हों की यादें दिल में दफ़न किए हुए



Tuesday, August 31, 2010

एक सवाल


अभी हाल ही में हुई भारी बारिश में कई लोगों ने एन्जॉय किया तो कई लोगों के लिए ये बारिश तबाही का सबब बनी. दिल्ली में तो यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बही. ये पहली बार हुआ जब यमुना का जल रिंग रोड और आई एस बी टी तक आ पहुंचा. इतना ही नहीं लोगों को नाव चलाकर बचाव कार्य में जुटना पड़ा. बारिश से गरीबों का नुकसान हुआ तो हुआ लेकिन सबसे जयादा जो नुक्सान दिख रहा है वो है कॉमन बेल्थ गेम्स की तैयारियों का जिससे पूरी दुनियां में भारत की साख दाव पर लगी है. कॉमन बेल्थ गेम्स के कुछ ही दिन बाकि रह गए हैं. लेकिन तैयारियां अभी भी अधूरी पड़ी हुई हैं. दोष हम बारिश को नहीं दे सकते, दोष हमारे देश के सर्वोच्च पद पर बीते नीति नियंताओं का है जो देश की आत्मा और जनता की भावनाओं से खिलबाड़ करने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाते। जिन्हें देश को चलने के लिए चुना गया है वाही देश को डुबाने पर तुले हुए हैं. दोष जनता का भी है जो इक्कीसवी सदी के चलते जागरूक नहीं हो पाई है. क्या इन्ही दिनों के लिए हमारे पूर्वजों ने अपनी जान देकर देश को आज़ाद कराया था? क्या हम बड़ी-बड़ी डिग्रियां लेकर ऐसे ही चुपचाप बैठे रहेंगे? क्या हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए भ्रष्टाचार, अपराध, और स्वार्थ की खाई नहीं खोद रहे हैं जिसमें उसका घुट के मरना तय होगा? अगर समाज को देश को और विश्व को बचाना है तो हमें ही आगे आना होगा. आखिर सवाल हमारे अस्तित्व का है.

Thursday, August 12, 2010

ज़रा सोचिये!


बारिश में भींगना किसे अच्छा नहीं लगता. जब भी बारिश होती है लोग भींगने को तैयार हो जाते हैं. खासतौर पर सावन के महीने में तो दिल में जो कसक उठती है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. यहाँ तक की भीगते समय बच्चों के चेहरे भी एक मीठी मुस्कान से खिल उठते हैं. कई बार तो भीगते समय हिंदी फिल्मों के पुराने गाने भी याद आते हैं. इतना ही नहीं बारिश आते ही हमारी जीब भी चटोरी हो जाती है. घरों में तरह-तरह के वयंजन पकते हैं.और हम बालकनी में खड़े होकर बड़े चाव से उन व्यंजनों का आनंद लेते हैं. लेकिन जरा सोचिये एक तरफ तो हम लोग बारिश का आनंद ले रहे होते हैं और दूसरी तरफ न जाने कितने लोग बारिश में अपना आशियाना खो देते हैं. लोगों के घर उजड़ जाते हैं और बारिश से आई बाड़ उन्हें तबाह कर देती है. सीधा सवाल ये है की ऐसे में हमारी, हमारे राजनेताओं की और हमारे प्रशासन क्या ज़िम्मेदारी बनती है? वहां भरी बारिश में लोग डूब रहे होते हैं और हम और हमारे नेता डनलप के गद्दे में सो रहे होते हैं. आपदा पीडतों के लिए जो राहत पहुचती है वह तब पहुचती है जब कई लोगों की जानें चली गयी होती हैं. सवाल ज़िम्मेदारी और मानवीयता का है. ज़रा सोचिये!

Wednesday, August 11, 2010

सभी को मेरा नमस्कार

सभी को मेरा नमस्कार ,
जब भी नेट पे बैठता हूँ ब्लॉग लिखने का मन करता है. लेकिन क्या लिखूं नहीं सूझता है. कोशिश करूँगा की अब से ब्लॉग पर पोस्ट करता रहूँगा.